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Punjab Bandh: किसानों और मजदूर संगठनों का आंदोलन, पीएम मोदी पर कटाक्ष

Punjab Bandh: पंजाब में किसानों और मजदूर संगठनों के आह्वान पर पूरी तरह से बंद रखा गया है। इस बंद के कारण सड़क, रेल और बस यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष की अगुवाई में एक बड़ी संख्या में किसान अमृतसर के गोल्डन गेट पर धरना दे रहे हैं और उन्होंने अमृतसर-जालंधर जीटी रोड को अवरुद्ध कर दिया है। इस दौरान, सरकार के खिलाफ किसानों और मजदूरों का गुस्सा और आक्रोश साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।

पंढेर  ने पीएम मोदी पर किया हमला

किसान मजदूर संघर्ष समिति के प्रवक्ता सरवन सिंह पंढेर  ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह की हालत नाजुक है और अगर उनके साथ कुछ भी अप्रिय होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। पंढेर  ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी आदानी और अंबानी के दबाव में आकर किसानों की जायज मांगों को अनदेखा कर रहे हैं और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी देने से इंकार कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति ने किया समर्थन

पंढेर  ने यह भी बताया कि किसानों और मजदूरों की मांगों का समर्थन सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने भी किया है। बावजूद इसके, केंद्र सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है और किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। पंढेर  ने यह भी कहा कि देशभर में किसानों और मजदूरों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और सरकार को जल्द से जल्द इन मांगों को स्वीकार करना होगा, अन्यथा आंदोलन और तेज हो सकता है।

Punjab Bandh: किसानों और मजदूर संगठनों का आंदोलन, पीएम मोदी पर कटाक्ष

MSP की कानूनी गारंटी की मांग

किसान और मजदूर संगठन अपनी सबसे बड़ी मांग, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, को लेकर बार-बार सरकार से अनुरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक MSP की कानूनी गारंटी नहीं दी जाती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। इसके साथ ही, किसानों की दूसरी प्रमुख मांग है कि सरकार उनके लिए एक स्थिर और उचित खरीद प्रणाली सुनिश्चित करे, ताकि वे अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।

प्रधानमंत्री मोदी का रुख

सरवन सिंह पंढेर  ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की मांगों को नजरअंदाज किया है और वे अडानी और अंबानी के दबाव में काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार के भीतर एक ठोस दबाव है, जिसे वे नकार नहीं सकते। पंढेर  का कहना था कि जब तक सरकार MSP को कानूनी गारंटी देने के लिए तैयार नहीं होती, तब तक किसान शांतिपूर्ण तरीके से नहीं बैठेंगे और उनका संघर्ष जारी रहेगा।

महापंचायत का आयोजन

सरवन सिंह पंढेर  ने यह भी जानकारी दी कि 4 जनवरी को पूरे देश में एक महापंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें किसानों और मजदूरों के अगले कदमों पर चर्चा की जाएगी। इस महापंचायत में यह तय किया जाएगा कि किसानों और मजदूरों को उनके अधिकार दिलाने के लिए क्या रणनीति अपनाई जाएगी। पंढेर  ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन तब तक नहीं रुकेगा जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती।

पंजाब में बंद का प्रभाव

पंजाब में इस बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। अमृतसर में सड़कों पर कोई भी वाहन नहीं दिख रहा है, रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर यात्री भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। किसान और मजदूर संगठन अमृतसर-जालंधर जीटी रोड पर बैठे हैं और उन्होंने पूरी तरह से यातायात को जाम कर दिया है।

धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि यह संघर्ष केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश के गरीब और शोषित वर्ग की लड़ाई है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन और तेज हो सकता है और पूरे देश में फैल सकता है।

किसानों की अन्य मांगें

किसानों के अलावा, मजदूर संगठनों ने भी कई अन्य मांगें रखी हैं। उनमें प्रमुख हैं:

  1. कर्जमाफी: किसानों का कहना है कि वे बढ़ते कर्ज के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। सरकार को उन्हें कर्जमाफी देने का ऐलान करना चाहिए।
  2. न्यूनतम वेतन में वृद्धि: मजदूरों का कहना है कि उनका वेतन बहुत कम है, जिससे उनका गुजारा नहीं हो पा रहा है। सरकार को मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित करना चाहिए।
  3. स्थिर रोजगार की गारंटी: किसान और मजदूर संगठन चाहते हैं कि सरकार उनके लिए स्थिर रोजगार की गारंटी दे ताकि उनके पास काम का कोई स्थायी साधन हो।
  4. प्राकृतिक आपदाओं का मुआवजा: किसान चाहते हैं कि सरकार प्राकृतिक आपदाओं के कारण उनकी खराब हुई फसलों का मुआवजा दे।

सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं

अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस आंदोलन पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, किसानों और मजदूरों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया, तो आंदोलन और तेज होगा और उनकी आवाज को अनदेखा करना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।

आंदोलन का भविष्य

किसान और मजदूर संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक केंद्र सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं करती। 4 जनवरी को होने वाली महापंचायत इस आंदोलन की दिशा तय करेगी। अगर सरकार ने फिर भी कोई कदम नहीं उठाया, तो किसानों और मजदूरों के अगले कदम बहुत कठोर हो सकते हैं।

आंदोलनकारी यह भी कह रहे हैं कि वे अपनी जान देने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपने हक की लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे। अब यह देखना होगा कि सरकार इस स्थिति का समाधान निकालने के लिए क्या कदम उठाती है।

पंजाब में किसानों और मजदूरों के इस आंदोलन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। किसानों की आवाज अब केवल पंजाब तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी गूंज रही है। सरकार को इस आंदोलन के असर को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही कोई कदम उठाना होगा, ताकि देश में शांति बनी रहे और किसानों और मजदूरों को उनके हक मिल सकें।

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